Saturday, February 28, 2009

आ रही है होली

चुपके-चुपके, सबसे छुपके,
दबे पाँव आ रही है होली।

सबको मनके रंग दिखाने,
और सुनाने मन की बोली।

चाहो तो तुम भी रंग डालो,
और नही तो ख़ुद को रंग लो।

मुन्नी पप्पू गोलू चुन्नी
आज नही कोई भी बचेगा।

अपने साथी पशु और पक्षी
सब को अपने रंग, रंग लेगा।

इसकी चूनर उसकी टोपी,
सब हो जाए नीली पीली।

रंग भरी पिचकारी लेकर
दौडी लीना नीना रोली।

कोई डरकर छुप बैठा है,
अम्मा की खटिया के नीचे।

कोई सबको डरा रहा है,
बापू की कुटिया के पीछे।

होली का त्यौहार रंगीला,
मन मे रंग भरे है निराला।

तुम भी अपने रंग मे भीगो,
चाहे नीला, चाहे पीला।

होली मुबारक

10 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

खुशियों की सौगात लिए होली आई है।



रंगों की बरसात लिए, होली आई है।।



रंग-बिरंगी पिचकारी ले,


बच्चे होली खेल रहे हैं।


मम्मी-पापा दोनों मिल कर,


मठरी-गुझिया बेल रहे हैं।


पकवानों को साथ लिए, होली आई है।


रंगों की बरसात लिए, होली आई है।।



जाड़ा भागा, गरमी आई,


होली यह सन्देशा लाई।


कोयल बोल रही बागों में,


कौए ने पाँखे खुजलाई।


ठण्डी कुल्फी हाथ लिए, होली आई है।


रंगों की बरसात लिए, होली आई है।।



सरसों फूली, टेसू फूले,


आम-नीम बौराये हैं।


मक्खी, मच्छर भी होली का,


गीत सुनाने आये हैं।


साथ चाँदनी रात लिए, होली आई है।


रंगों की बरसात लिए, होली आई है।।

Sanjay Grover said...

Aane to do.

आशीष कुमार 'अंशु' said...

होली मुबारक

mehek said...

bahut hi badhiya rachana holi mubarak

अनिल कान्त said...

आपने अपने शब्दों के रंग में
यूँ रंग डाला
मन हुआ जा रहा
अभी से होली के हुडदंग में मतवाला ...

मेरी कलम -मेरी अभिव्यक्ति

N Navrahi/एन नवराही said...

बहुत अच्‍छा
कविता कविता के स्‍टाइल में ही डिसप्‍ले करें, तो ज्‍यादा अच्‍छा लगे.

समयचक्र said...

bahut badhiya abhivyakti abhaar.

रंजना said...

चुपके-चुपके, सबसे छुपके,
दबे पाँव आ रही है होली।

सबको मनके रंग दिखाने,
और सुनाने मन की बोली।

चाहो तो तुम भी रंग डालो,
और नही तो ख़ुद को रंग लो।

मुन्नी पप्पू गोलू चुन्नी,
आज नही कोई भी बचेगा।

अपने साथी पशु और पक्षी ,
सब को अपने रंग, रंग लेगा।

इसकी चूनर उसकी टोपी,
सब हो जाए नीली पीली।

रंग bhariरंग भरी पिचकारी,
लेकर दौडी लीना नीना रोली।

कोई डरकर छुप बैठा है,
अम्मा की खटिया के नीचे।

कोई सबको डरा रहा है,
बापू की कुटिया के पीछे।

होली का त्यौहार रंगीला,
मन मे रंग भरे है निराला।

तुम भी अपने रंग मे भीगो,
चाहे नीला, चाहे पीला।

होली मुबारक !!!

रंगभरी सुन्दर कविता है,परन्तु यह गद्य रूप में पोस्ट हो गयी है.कृपया इसे फिर से पोस्ट कर लें..

Vinay said...

बहुत सुन्दर काव्य, होली के त्योहार की हार्दिक बधाई!

---
चाँद, बादल और शाम

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

बहुत सुन्दर लगे होली के रंग !!!
(पंक्तियाँ गद्य की तरह क्रमवार प्रेषित हो रही है. कृपया इन्हें सहेज दें.)